झुंझुनू, 27 मई: जिला कलेटर डॉ. आरूषी मलिक ने कहा कि अन्तर्जातीय विवाहों से सामाजिक एकता एवं समरसता स्थिापित करने में सहयोग मिलता है। वे कलेटे्रट में मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा आयोजित डॉ. सविता बेन अम्बेडकर अन्तर्जातीय विवाह सहायता राशि वितरण के दौरान बोल रही थी। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा अन्तर्जातीय विवाह सहायता योजना के माध्यम से समाज से जातिगत भेदभाव मिटाने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र पूनियां ने बताया कि जातिगत भेदभाव मिटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 2005-06 में डॉ. सविता बेन अम्बेडकर अन्तर्जातीय विवाह सहायता योजना की शुरूआत की गई। प्रारंभ में अन्तर्जातीय विवाह करने पर 50 हजार रूपए की राशि देय थी, जिसे एक अप्रैल 2013 से बढाकर 5 लाख रूपए कर दिया गया है। जिसके तहत दंपति को 2.50 लाख रूपए की राशि का डिमांड ड्राफ्ट तथा शेष 2.50 लाख रूपए की एफडीआर (8 वर्ष) के लिए दी जाती है। उन्होंने बताया कि इसकी पात्रता के लिए वर-वधू को राजस्थान का मूल निवासी होना चाहिए। वर-वधू में से एक अनिवार्य रूप से अनुसूचित जाति का होना चाहिए, जबकि दूसरा सामान्य अथवा अन्य पिछडी जाति का हो सकता है। कार्यक्रम में चंवरा के मुकेश कुमार एवं मीरा कुमारी, बासडी के प्रताप सिंह एवं सुशीला, नरहड के धनपत एवं कमलेश कुमारी तथा पालोता के संदीप कुमार एवं संगीता को ड्राफ्ट एवं एफडीआर भेंट की गई।
अन्तर्जातीय विवाहों से कामय होती है सामाजिक एकता - डॉ. मलिक
झुंझुनू, 27 मई: जिला कलेटर डॉ. आरूषी मलिक ने कहा कि अन्तर्जातीय विवाहों से सामाजिक एकता एवं समरसता स्थिापित करने में सहयोग मिलता है। वे कलेटे्रट में मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा आयोजित डॉ. सविता बेन अम्बेडकर अन्तर्जातीय विवाह सहायता राशि वितरण के दौरान बोल रही थी। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा अन्तर्जातीय विवाह सहायता योजना के माध्यम से समाज से जातिगत भेदभाव मिटाने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र पूनियां ने बताया कि जातिगत भेदभाव मिटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 2005-06 में डॉ. सविता बेन अम्बेडकर अन्तर्जातीय विवाह सहायता योजना की शुरूआत की गई। प्रारंभ में अन्तर्जातीय विवाह करने पर 50 हजार रूपए की राशि देय थी, जिसे एक अप्रैल 2013 से बढाकर 5 लाख रूपए कर दिया गया है। जिसके तहत दंपति को 2.50 लाख रूपए की राशि का डिमांड ड्राफ्ट तथा शेष 2.50 लाख रूपए की एफडीआर (8 वर्ष) के लिए दी जाती है। उन्होंने बताया कि इसकी पात्रता के लिए वर-वधू को राजस्थान का मूल निवासी होना चाहिए। वर-वधू में से एक अनिवार्य रूप से अनुसूचित जाति का होना चाहिए, जबकि दूसरा सामान्य अथवा अन्य पिछडी जाति का हो सकता है। कार्यक्रम में चंवरा के मुकेश कुमार एवं मीरा कुमारी, बासडी के प्रताप सिंह एवं सुशीला, नरहड के धनपत एवं कमलेश कुमारी तथा पालोता के संदीप कुमार एवं संगीता को ड्राफ्ट एवं एफडीआर भेंट की गई।
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